Makar Sankranti 2025 date.14 या 15 जनवरी कब है,मकर संक्रांति? एक क्लिक में नोट करें तिथि और शुभ मुहूर्त
Makar Sankranti 2025 date.14 या 15 जनवरी कब है,मकर संक्रांति? एक क्लिक में नोट करें तिथि और शुभ मुहूर्त writer by Ranjeet Kumar 14/01/2025.
makar Sankranti 2025 date:मकर संक्रांति भारत का प्रमुख त्यौहार है जिसे हर देश में बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है यह त्यौहार हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य देव को समर्पित है और इसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष में मनाया जाता है मकर संक्रांति को 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है. इस वर्ष पौष माह के खत्म होने के एक दिन बाद मकर संक्रांति मनाई जाएगी। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा और फिर इसके अगले दिन मकर संक्रांति है। इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ भी शुरू है। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी और इसके एक दिन बाद मकर संक्रांति के दिन पहला शाही स्नान है। मकर संक्रांति पर साधु-संत और गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग गंगा, यमुना, त्रिवेणी, नर्मदा और शिप्रा जैसी अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य लाभ की प्राप्ति करते हैं। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक साल यह त्योहार पौष महीने में मनाया जाता है। लेकिन इस बार मकर संक्रांति पौष माह के खत्म होने के बाद मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस सूर्य धनु राशि की अपनी यात्रा को विराम देकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जिसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्राति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जिस कारण से इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा इस दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं मकर संक्रांति का महत्व, पूजा विधि और स्नान का शुभ मुहूर्त मकर संक्रांति का सुबह 8:40 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक बताया गया है मकर संक्रांति का हमारे जीवन में महत्त्त्व :.मकर संक्रांत का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टि से विशेष महत्व है इस दिन उत्तरायण में होते हैं इसे शुभ और धार्मिक दोनों का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति से दिन बड़े और रात छोटी होने लगती है, यह त्योहार फसल कटाई का प्रतीक है, इसलिए इसे किसानों का त्योहार भी कहा जाता है। मकर संक्रांति पर प्रयागराज के त्रिवेणी में स्नान का महत्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश काल के समय जब सभी देवों के दिन का शुभारंभ होता है तो तीनों लोकों में प्रतिष्ठित गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगमतट 'त्रिवेणी' पर साठ हजार तीर्थ और साठ करोड़ नदियाँ, सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, नाग, किन्नर आदि तीर्थराज प्रयाग' में एकत्रित होकर गंगा-यमुना-सरस्वती के पावन संगम तट पर स्नान, जप-तप और दान-पुण्य कर अपना जीवन धन्य करते हैं। तभी इसे तीर्थों का कुंभ भी कहा जाता है। मकर संक्रांति की परम्परा:..मकर संक्रांति की परंपरा निम्न प्रकार से होती हैं . • स्नान और दान ..मकर संक्रांति के दिन लोगों को गंगा-यमुना जैसी नदियों में स्नान करना चाहिए और इस पर्व में दान पुण्य होता है. •तिल और गुड..मकर संक्रांति के दिन तिल के लड्डू और गुड़ की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, यह त्यौहार इस बात का प्रतीक है कि जीवन में सदैव मीठा और सौहार्द पूर्ण व्यवहार रखना चाहिए. .पतंगबाजी .. गुजरात और राजस्थान में अधिक पतंगें उड़ती हैं, इस दिन आकाश रंग बिरंगी पतंगों से भर जाता है। विविधाता में एकता..पंजाब में लोहाडी के नाम से जानते है असम में बिहू के नाम से, तमिलनाडु में पोंगल के नाम से जान्ते है. Makar Sankranti 2025 ka video dekhen .निष्कर्ष...मकर संक्रांति का त्यौहार समाज में प्रेम और एकता का संदेश भी देता है तथा साकारात्मक और उदारता के साथ आगे बढ़ने की उम्मीद जताता है तथा खुशी और समृद्ध और नई ऊर्जा देती है। jankari achhi Lage to share and follow jarur kare thanks for your support.
Mkar sankranti ki badhai ho
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